Thursday, January 7, 2010

मेरा पहला पोस्ट

ये मेरा पहला पोस्ट हेँ |
मेरे पिताजी हमेशा मुझे ये शायरी सुनाते थे

मुझे लगा की ये आपको भी सुनादू ...





लगता नहीं है जी मेरा उजारे दायर में

किस की बनी है आलम-ए-नपायेदार में

कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें

इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दघ्दर में

उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाए थे चार दिन

दो आरज़ू में काट गये दो इंतज़ार में

कितना है बदनसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिए

दो गाज़ ज़मीन भी मिल ना सकी कू-ए-यार में

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